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What is ovulation? Why does ovulation pain take place? & How to treat it?

Do not take it wrong that every ovulating woman will suffer the pain. According to the gynaecologist in Ludhiana, “ The ovulation may not be painful for some, but it may be tremendously painful for others.” Sometimes, the pain is associated with a wide variety of complications, which may also lead you to take fertility treatment from the IVF Centre in Punjab. 

Basic knowledge about ovulation pain

  • Usually, women do not encounter ovulation pain, but those who experience it may encounter the following: 
  • One-sided pain 
  • Suspected ovulation 

 

  • Ovulation involves the following: 
  • Follicular cysts 
  • Swelling & Rupturing of the cysts

 

  • Importance of the rupturing 

The rupturing is responsible for the discharge of the egg once the body goes through the surge in LH (Luteinizing hormone).

  • Contraction of the fallopian tube 

No sooner the egg is released from the reproductive serum than the fallopian tubes contract. So that the sperm and egg can meet others without any hurdle or hindrance. But every good thing is associated with a problem. The contraction of the fallopian tubes allows the blood and other kinds of fluid to step into the abdominal cavity and the pelvis.

Following are the other reasons why the problem of endometriosis can come into existence:

  • Cysts 

The cysts in the form of ovarian cysts or Polycystic ovarian syndrome can make you feel sick when ovulation occurs. The cysts may lead you to experience symptoms like excessive bloating or vomiting, and nausea. 

  • Endometriosis 

Endometriosis is a problem in which the tissue that should be present inside the uterus starts growing outside of the uterus, which is not at all a good condition. The size of the endometriosis may vary from the size of a lemon to the size of a baseball. 

  • Infection or STIs

When the bacteria infection or any type of STI has affected you, the pain you experience will be associated with the discharge.

The following kinds of STIs are encountered if you do condomless sex:

  • Chlamydia
  • Gonorrhoea
  • Human Papillomavirus 

  • Ectopic pregnancy

If during the pregnancy you are experiencing pain, particularly on the one side, then it is the ectopic pregnancy that is bothering you. This kind of pregnancy occurs when the embryo is implanted in a location other than the uterus. 

How to get rid of the ovulation pain?

To get rid of the ovulation pain, you can try the following methods: 

  • Try to take OTC Pain reliever treatment.
  • Consult your doctor to make sure whether the intake of birth control pills can prevent ovulation pain. 
  • The application of the heating pad on the area where it is aching will give relief. 

Bottom Line 

It is advised that the woman who is suffering from the problem of ovulation pain should undergo treatment if her problem is linked to cervical issues. So what are you for? Book your consultation with reputed doctors.

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क्या है बवासीर और जानिए की ये कितने ग्रेड या स्टेज से होकर गुजरते है ?

बवासीर की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, क्युकी इसके कारण व्यक्ति का उठना, बैठना कुछ भी खाना काफी मुश्किल हो जाता है। पर इस समस्या का उपचार करने से पहले उसके ग्रेड, प्रकार या स्टेज के बारे में जानना बहुत जरूरी है। वहीं बवासीर की सर्जरी के लिए किस प्रक्रिया का चयन किया जाना चाहिए और किस ग्रेड तक की बवासीर के लिए लेजर सर्जरी पर्याप्त है आदि कई चीजें बवासीर के स्टेज यानी ग्रेड पर निर्भर करता है। तो आज के लेख के माध्यम से हम जानेंगे की बवासीर के स्टेज को कैसे पहचाने और इससे कैसे खुद का इलाज कर सकते है ;

क्या है बवासीर की समस्या ?

  1. पाइल्स को बवासीर के नाम से भी जाना जाता है, पाइल्स होने पर मरीज के एनस (गुर्दे) के बाहर और अंदर के हिस्से में सूजन आ जाती है इसके अलावा कई बार मल त्यागते समय खून निकलने के साथ ही दर्द का सामना भी करना पड़ता है. यह समस्या होने पर मल त्यागते समय और बैठते समय काफी ज्यादा परेशानी होती है। 
  2. बवासीर की शुरुआती अवस्था में, लोगों को गुदा क्षेत्र में दर्द, खुजली और सूजन जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। 

बवासीर के ग्रेड (स्टेज) और लक्षण क्या है ?

बवासीर की बात करें तो आमतौर पर लोग बवासीर के प्रकार और स्टेज को एक समझते है, जबकि दोनों चीजों के बीच जमीन और आसमान का अंतर है। वहीं बवासीर के चार प्रकार होते है – 

1, बाहरी बवासीर, 2. आंतरिक बवासीर, 3. प्रोलैप्सड बवासीर, 4. थ्रोम्बोस्ड बवासीर। तो चलिए जानते है, की इन बवासीर होने के दौरान व्यक्ति में किस तरह के लक्षण नज़र आते है ; 

बवासीर ग्रेड के प्रकार ;

ग्रेड-1 में अभी बवासीर की शुरुआत ही होती है। ग्रेड-1 की बवासीर सामान्य होती है, इसमें कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते। इसलिए इसे आप पानी पीकर, कब्ज में नियंत्रण पाकर और अन्य घरेलू नुस्खे का उपयोग करके ठीक कर सकते है।

ग्रेड-1 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • मलत्याग के समय अटपटा लगना और ऐसा महसूस होना जैसे नसें सूजी हुई हो।
  • मलत्याग के समय सामान्य खुजली की समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है।

ग्रेड-2 की बवासीर में आपके शौंच के दौरान बवासीर के मस्से बाहर आते है और शौंच के उपरान्त खुद ही अंदर चले जाते है। यदि यह बवासीर शुरुआती स्टेज में है तो यह कुछ क्रीम, दवाइयां और घरेलू नुस्खे से ख़त्म किया जा सकता है।

ग्रेड-2 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • चलने और बैठने में हल्के दर्द का अनुभव होना।
  • मल त्याग के दौरान हल्की-फुल्की ब्लीडिंग हो सकती है और दर्द हो सकता है।
  • गुदा क्षेत्र के आसपास खुजली का होना। 

ग्रेड-3 की बवासीर में शौच के दौरान बाहर आने वाले मस्से उँगलियों से धकेलने पर गुदा के अंदर चले जाते है, इसका उपचार करने के लिए लेजर सर्जरी का चयन करना जरूरी हो जाता है।

ग्रेड-3 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • गुदा क्षेत्र से पस या हल्के रंग के रक्त डिस्चार्ज का होना। 
  • चलने या बैठने में असहनीय तेज दर्द का होना।
  • मलत्याग के समय असहनीय दर्द का होना।

ग्रेड-4 की बवासीर में मस्से हमेशा बाहर लटके रहते है और तेज दर्द देते है। ग्रेड-4 की बवासीर का उपचार करने के लिए ज्यादातर डॉक्टर ओपन सर्जरी की सलाह देते है। और इस स्टेज के लिए सर्जरी बहुत जरूरी है। 

ग्रेड-4 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • किसी भी कार्य को करने के दौरान गुदा क्षेत्र में दर्द का होना।
  • मलत्याग में तेज ब्लीडिंग होना और बहुत अधिक दर्द का होना।
  • उठते या बैठते और बैठे-बैठे तेज दर्द का होना।
  • मस्सों का आकार बहुत बढ़ जाना आदि।

बवासीर के स्टेजों को जानकर आप पंजाब में बवासीर का उपचार करवा सकते है।

बवासीर होने के क्या कारण है ?

  • मल त्याग करते समय जोर लगाना। 
  • अस्थायी जीवनशैली के कारण बवासीर का होना। 
  • आहार में फाइबर की कमी का होना।
  • मोटापे के कारण। 
  • गर्भावस्था के दौरान भी बवासीर की समस्या हो सकती है। 

बवासीर के कारण अगर आप गुर्दे की समस्या का पहचान करना चाहते है, तो इसके लिए आपको लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

बवासीर का उपचार कैसे किया जाता है ?

  • बवासीर का इलाज स्थिति के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। मतलब की आपका बवासीर कितने स्टेज पर है उस स्टेज के लक्षणों को जानने के बाद उसका इलाज किया जाता है। सामान्य मामलों में उच्च फाइबर आहार लेना, शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखना और नियमित व्यायाम करना जैसी जीवनशैली में परिवर्तन करने से बवासीर की समस्या को हल किया जा सकता है। 
  • वहीं खुजली और असहजता जैसे सामान्य लक्षणों का इलाज क्रीम और उबटनों के इस्तेमाल से किया जा सकता है। और गंभीर स्थितियों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

सुझाव :

बवासीर की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, इसलिए जरूरी है की इसके शुरुआती स्टेज को जानने के बाद आपको इसके इलाज के लिए लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। और अगर आपके द्वारा इसके शुरुआती स्टेज या लक्षण पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो आपको सर्जरी की प्रक्रिया से होकर भी गुजरना पड़ सकता है। 

निष्कर्ष :

बवासीर की समस्या को कृपया नज़रअंदाज़ न करें वर्ना आगे चल के आपकी समस्या और भी बढ़ सकती है और साथ ही इसके इलाज के लिए किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न !

बवासीर का स्थायी चिकित्सा इलाज क्या है ?

बवासीर के इलाज के लिए आपको थोड़े से एलोवेरा जेल में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाना है, फिर रात मैं नियमित रूप से सोने के समय आपको अपनी गुर्दे पर बवासीर वाली जगह पर इस लेप को लगाना है, दो हफ्तों तक लगातार ऐसा करें इससे आपको बवासीर से जल्द ही राहत मिलेगा।

बवासीर से जुड़ी सभी बातें क्या है ?

  1. आपको दर्द से राहत पाने के लिए उस क्षेत्र को लगातार पोंछने से बचना चाहिए क्योंकि इससे और अधिक जलन होती है। 
  2. बाहरी बवासीर को “छेद” न करें, यदि बाहरी बवासीर के अंदर एक थक्का बन जाता है, तो यह कष्टदायी हो सकता है। थक्का गुर्दे के पास गांठ का कारण बन सकता है।
  3. वहीं बवासीर में आपको अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।

क्या केला बवासीर के लिए अच्छा है ?

बवासीर से छुटकारा पाने के लिए केले का उपयोग सहायक माना जाता है। वहीं केले के तने के रस में त्वचा को सिकोड़ने वालें गुण मौजूद होते है, जो बवासीर के मस्सों को सिकोड़ने का काम करते है। इसे उपयोग करने के लिए आप केला की पतली टहनी को काटे और उससे निकलने वाले द्रव्य को बवासीर के मस्सों पर लगाएं।

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पेट में जलन और सूजन की समस्या को नज़रअन्दाज़ करना जानिए कितना खतरनाक हो सकता है !

गैस्ट्राइटिस आजकल एक काफ़ी आम प्रॉब्लम बनती जा रही है, वहीं लोग इसे महज़ एसिडिटी समझकर इसे नज़रअंदाज़ करते है, और जब दिक्कत बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है तो इसको जल्दी से ठीक नहीं किया जा सकता है, जिससे लोगों की दिक्कतें और बढ़ जाती है। पर आज के लेख के माध्यम से हम जानेगे की हम कैसे पेट में ही रहें जलन और सूजन की समस्या से खुद का बचाव कर सकते है ;

पेट में गैस्ट्राइटिस या सूजन की समस्या क्या है ?

  • गैस्ट्राइटिस का मतलब होता है पेट में सूजन का आना है और ये समस्या का एक ऐसा समूह है जिसमें पेट के अंदर की परत कमज़ोर होने लगती है। 
  • वहीं परत कमज़ोर होने के कारण पेट में जो एसिड और अन्य पदार्थ बनते है, उनसे पेट में सूजन और जलन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 
  • इसके अलावा ये आजकल एक बहुत आम समस्या है, तो वहीं अगर गैस्ट्राइटिस का सही समय पर इलाज न किया जाए तो इससे आगे जाकर पेट में छाले, ज़ख्म या कुछ मामलों में कैंसर की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

पेट में किसी भी तरह की समस्या होने पर आपको लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

पेट में जलन और सूजन के क्या कारण है ?

  • सबसे पहला कारण है, खाने-पीने का ध्यान न रखना, जिसकी वजह से आपको पेट से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • वहीं बहुत ज्यादा तली या तीखी चीज़ें खाने से आपको गैस्ट्राइटिस की शिकायत हो सकती है। और तो और जंक फ़ूड से तो ये दिक्कत और बढ़ जाती है। 
  • फिजिकल एक्टिविटी की कमी और स्ट्रेस भी कारण हो सकते है, पेट में जलन और सूजन के कारण।  
  • बहुत ज्यादा स्मोकिंग, और शराब पीने से गैस्ट्राइटिस की समस्या हो सकती है। 
  • बहुत ज़्यादा पेन किलर या एंटीबायोटिक खाने से भी पेट में सूजन हो सकती है। 
  • कुछ बीमारियों के कारण भी ऐसा होता है, जैसे – HIV और ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस, वहीं आपको बता दें की इस बीमारी में शरीर पेट के अंदर की परत को ख़ुद नुकसान पहुंचाने लगता है।

पेट की अंधरुनि समस्या को जानने के लिए आपको डॉक्टर के सलाह पर लुधियाना में कोलोनोस्कोपी से इसकी जाँच को करवाना चाहिए।

पेट में जलन और सूजन के दौरान कौन-से लक्षण नज़र आते है ?

  • इसके लक्षणों में आपको पेट के ऊपरी हिस्से या लेफ्ट साइड में दर्द हो सकता है।
  • ये दर्द पीछे कमर में भी आपको महसूस हो सकता है। 
  • पेट में जलन का महसूस होना। 
  • पेट का फूला हुआ या टाइट महसूस होना। 
  • पेट का भरा-भरा लगना। 
  • बिना ज्यादा खाए डकार का आना। 
  • उल्टी जैसा महसूस होना। 
  • एसिड ऊपर आने के कारण सीने में जलन का महसूस होना। 
  • भूख में कमी का आना।  
  • अगर पेट में अल्सर (छाले) या कैंसर हो गया है तो काफ़ी ज़्यादा दर्द आपको महसूस हो सकता है। 
  • भूख का न लगना और वज़न का बहुत ज़्यादा कम हो जाना। 
  • उल्टी की समस्या और मल में खून का आना।

पेट में जलन की समस्या से कैसे करें खुद का बचाव ?

  • अगर आप पेट में जलन की समस्या से खुद का बचाव करना चाहते तो इससे बचाव के लिए आपको खाना-खाने के बाद तुरंत नहीं लेटना चाहिए, क्युकी खाने के बाद तुरंत लेटने से एसिड रिफ्लक्स जैसी पाचन संबंधी दिक्कतें सामने आने लगती है। 
  • खाना-खाने के बाद कम से कम आपको 1000 स्टैप्स चलना चाहिए, ऐसा करने से डाइजेस्टिव सिस्टम, ब्लड शुगर लेवल और आपकी सेहत अच्छी रहती है।

पेट में जलन और सूजन की समस्या का इलाज क्या है ?

  • गैस्ट्राइटिस से निपटने के लिए कई दवाइयां उपलब्ध है, ये दवाइयां एसिड को बनाना बंद कर देती है, इससे पेट की परत काफ़ी हद तक ठीक हो जाती है। 
  • हिस्टामिन ब्लॉकर भी एसिड को कम करने में काफी मदद करते है, लिक्विड एंटासिड अंदर के बने एसिड को न्यूट्रलाइज करते है, इसके बाद भी समस्या ठीक नहीं होती तो डॉक्टर से सलाह आपको लेनी चाहिए। 
  • गैस्ट्राइटिस का इलाज अगर सही समय पर न किया जाए तो अल्सर और कैंसर तक की समस्या का आपको सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अगर उपरोक्त बताए गए लक्षण आपको महसूस हो रहे है, तो केवल एसिडिटी की दवा न लें, बल्कि डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। 

सुझाव :

पेट की समस्या को नजरअंदाज करना मतलब मौत के मुँह में खेलने के सामान है। इसलिए जरूरी है की अगर आप पेट से जुडी किसी भी तरह की समस्या का सामना कर रहें, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। 

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प्रेगनेंसी के दौरान पीलिया के लक्षण दिखने पर कैसे करें इसका इलाज ?

प्रेगनेंसी एक ऐसा स्टेज है, महिलाओं की ज़िन्दगी में की इस अवस्था में उन्हे अपना खास ध्यान रखना चाहिए, लेकिन कई बार ध्यान रखने के बाद भी अगर महिलाओं को पीलिया की परेशानी हो जाए तो ऐसे में वो कैसे खुद का बचाव कर सकती है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे

प्रेगनेंसी के दौरान पीलिया की समस्या क्या है ?

  • प्रेगनेंसी में पीलिया लिवर की समस्या की वजह से होता है। प्रेगनेंसी में लिवर संबंधी विकार बेहद ही कम होता है, लेकिन इसके होने की वजह से बच्चे और मां दोनों को कई अन्य रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • प्रेगनेंसी में लगभग तीन प्रतिशत महिलाओं को ये समस्या गंभीर रूप से परेशान कर सकती है। पीलिया होने पर महिलाओं की आंखों का रंग पीला हो जाता है। दरअसल जब लिवर में बिलीरुबिन बनने की प्रक्रिया बढ़ जाती है, तो ये रोग हो जाता है। 
  • प्रेगनेंसी में महिलाओं को पित्त की पथरी, कोलेस्टेसिस, हाई बीपी होने की वजह से लिवर का कार्य प्रभावित हो जाता है, इसकी वजह से भी पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • अगर आप भी प्रेगनेंसी के दौरान पीलिया की समस्या का सामना कर रहीं है तो इससे बचाव के लिए आपको गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

प्रेगनेंसी के दौरान पीलिया में कौन-से लक्षण नज़र आते है ?

  • जी मिचलाना व उल्टी आने की समस्या का सामना करना। 
  • पीले रंग के पेशाब का आना। 
  • आंखों के रंग का पीला होना। 
  • कमजोरी महसूस होना। 
  • बुखार की समस्या का सामन करना। 
  • वहीं इसके अन्य लक्षणों में ;
  • वजन का तेजी से कम होना।   
  • भूख का न लगना। 
  • पेट में दर्द का होना। 
  • हल्के रंग के मल का आना।  
  • कब्ज की शिकायत होना, आदि।  
  • अगर आपमें पीलिया के ऐसे लक्षण नज़र आ रहें है, तो डिलीवरी के दौरान पेनलेस नार्मल डिलीवरी होने की संभावना बहुत कम रह जाती है। इसलिए पीलिया के लक्षण नज़र आने पर जल्द डॉक्टर का चयन करें।

प्रेगनेंसी के दौरान पीलिया का इलाज कैसे किया जाता है ?   

  • प्रेगनेंसी में एनीमिया की वजह से होने वाले पीलिया का इलाज आयरन युक्त आहार से किया जा सकता है। इसके अलावा पीलिया के मुख्य कारण के आधार पर ही उसका इलाज किया जाता है। इसकी पहचान होने के बाद डॉक्टर इलाज शुरु कर देते है।  
  • हेपेटाइटिस की वजह से होने वाले पीलिया में डॉक्टर मरीज को स्टेरॉयड की दवाएं देते है, ताकि मरीज़ को जल्दी फ़ायदा मिल सकें।  
  • कई बार कुछ दवाओं के इस्तेमाल से भी व्यक्ति को पीलिया हो सकती है, ऐसे में डॉक्टर सबसे पहले उन दवाओं के सेवन को बंद कर देते है।  
  • पीलिया के संक्रमण से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉक्टर कई बार एंटी बायोटिक्स दवाएं देते है। जिसका किसी भी तरह का कोई नुकसान व्यक्ति को नहीं होता है।  

इसके अलावा आप चाहें तो गर्भवती महिला के पीलिया का इलाज लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से भी करवा सकते है।

पीलिया में गर्भवती महिलाएं किन खाने की चीजों का रखें खास ध्यान !

  • गन्ने का जूस पिएं ताकि पीलिया की समस्या से बचाव हो सकें। 
  • ऐसी अवस्था में पीलिया होने पर जितना हो सके व्यक्ति को अपने शरीर को हाइड्रेट रखना चाहिए। 
  • जितना हो सकें पीलिया के मरीज को छाछ या फिर दही का सेवन करना चाहिए।
  • मूली के रस को पिएं। 
  • नीम की पत्तियों का सेवन करें आदि।

पीलिया होने पर गर्भवती महिलाएं किन चीजों का करें परहेज ?

  • डॉक्टर के द्वारा हमेशा पीलिया के मरीजों को मसालेदार चीजों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, जंक फूड से भी परहेज करना चाहिए। क्युकि इनमें मसालों का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसान भी साबित होता है, खास करके गर्भवती महिलाओं के लिए।
  • फिर चाय और कॉफी का सेवन भी नहीं करना चाहिए। 
  • पीलिया के मरीजों को अचार का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा नमक से भी परहेज करना चाहिए। तो वहीं मीट, चिकन और अंडे का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न !

गर्भावस्था के दौरान पीलिया होने के क्या कारण है ?

प्रेग्नेंसी के दौरान इंफ़ेक्शन या वायरल हेपेटाइटिस, पीलिया की सबसे आम वजह में शामिल है। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, या ई इन सभी वायरस से वायरल हेपेटाइटिस जैसा गंभीर इंफ़ेक्शन हो सकता है। 

अगर गर्भवती महिला को पीलिया हो जाए तो क्या होगा ?

प्रेगनेंसी के दौरान लिवर से जुड़ी कई बीमारियों का जोखिम रहता है। जिसमें पीलिया मतली उल्टी और पेट में दर्द शामिल है। गर्भावस्था के दौरान लिवर से जुड़ी बीमारी न सिर्फ मां बल्कि बच्चे की जान के लिए भी ख़तरनाक साबित हो सकती है।

कौन-से फल पीलिया को कम करते है ?

गाजर और चुकंदर का जूस पीलिया के मरीजों के लिए रामबाण इलाज है। अगर नियमित रूप से इन दोनों फलों का सेवन इनके द्वारा किया जाता है, तो पीलिया की समस्या से ये छुटकारा पा सकते है।  

क्या पीलिया में खरबूजा खा सकते है ?

बिलकुल खा सकते है, इसके अलावा पपीता भी पीलिया से राहत देने में मदद करते है।

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जीईआरडी (GERD) के क्या है लक्षण: कारण, उपचार और परहेज ?

GERD जिसे, ‘गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग’ के नाम से जाना जाता है और ये रोग तब होता है जब पेट का एसिड बार-बार आपके मुंह और पेट (ग्रासनली) को जोड़ने वाली नली में वापस बहता है। यह बैकवाश आपके अन्नप्रणाली के अस्तर को परेशान कर सकता है। बहुत से लोग समय-समय पर एसिड रिफ्लक्स का अनुभव करते है। तो चलिए जानते है आज के लेख के माध्यम से की क्या है जीईआरडी (GERD) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी ;

जीईआरडी (GERD) के कारण क्या है ?

  • अधिक वजन या मोटापा होना। 
  • धूम्रपान  अत्यधिक सेवन करना। 
  • गर्भावस्था। 
  • बेंजोडायजेपाइन, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, अस्थमा की दवाएं, एनएसएआईडी और ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट जैसी कुछ दवाएं जीईआरडी का कारण बन सकती हैं या जीईआरडी के लक्षणों को बढ़ा सकती है।
  • हायटल हर्निया से जीईआरडी विकसित होने या जीईआरडी के लक्षण खराब होने की संभावना भी बढ़ सकती है।

इसके कारणों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए आप लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन कर सकते है।

क्या है जीईआरडी (GERD) ?

  • बहुत से लोग समय-समय पर एसिड रिफ्लक्स का अनुभव करते है। हालांकि, जब एसिड रिफ्लक्स समय के साथ बार-बार होता है, तो यह जीईआरडी का कारण बन सकता है। 
  • अधिकांश लोग जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के साथ जीईआरडी की परेशानी का प्रबंधन करने में सक्षम है।
  • यदि आपके पेट में किसी भी तरह की परेशानी नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में कोलोनोस्कोपी जांच का चयन करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहें आपके पेट में कोई भी समस्या काफी पुरानी हो तब ही इसका चयन करें। 

जीईआरडी (GERD) के लक्षण क्या है ?

  • सीने में जलन जोकि खाने के बाद अक्सर होती है। 
  • एसिड रिफ्लक्स जब पेट का एसिड आपके मुंह में लौट आता है, जिससे अप्रिय, खट्टा स्वाद का अनुभव आपको होता है। 
  • बीमार महसूस करना या होना। 
  • लगातार खांसी की समस्या। 
  • छाती में दर्द का बने रहना। 
  • जी मिचलाने की समस्या का सामना करना। 
  • निगलते समय दर्द का अनुभव करना। 
  • भूख में कमी का सामना करना। 
  • लगातार उल्टी की समस्या का बने रहना। 
  • पाचन तंत्र में रक्तस्राव, जैसे उल्टी जिसमें खून होता है और साथ ही मल जिसमें खून दिखाई देता है। 
  • अस्पष्टीकृत वजन का घटना भी इसमें शामिल है।

जीईआरडी (GERD) रोग में खाने में क्या परहेज करना चाहिए !

  • परहेज करने योग्य खाद्य पदार्थ की बात करें तो इसमें आपको लाल मांस, पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पादों और अंडे की जर्दी से आने वाली संतृप्त वसा जीईआरडी को बढ़ा सकती है और इससे बचना ही बेहतर है। यदि आप इन खाद्य पदार्थों से पूरी तरह परहेज नहीं कर सकते, तो इन्हें कम मात्रा में या केवल दोपहर के भोजन के लिए खाएं ताकि जीईआरडी के लक्षण आपको रात में जगाए न रखें। 
  • जीईआरडी में मैदा जैसे परिष्कृत अनाज से बचना चाहिए क्योंकि वे पाचन तंत्र में जलन पैदा कर सकते है और जीईआरडी के लक्षण पैदा कर सकते है।
  • जीईआरडी मरीज में किसी में जीईआरडी के लक्षण दिख रहे हों तो संतरे और नींबू जैसे खट्टे फल और टमाटर, प्याज और लहसुन जैसी सब्जियों से किसी भी रूप में परहेज करना चाहिए।
  • काली मिर्च या मिर्च जीईआरडी के लक्षणों को बढ़ाती है इसलिए इनसे बचना चाहिए। जीईआरडी के लक्षण होने पर बिना मिर्च वाला फीका खाना खाएं।

जीईआरडी (GERD) के उपचार में क्या शामिल है ?

  • सबसे पहले इसके उपचार में डॉक्टर के कहेनुसार दवाएं को शामिल करना चाहिए। 
  • फंडोप्लीकेशन सर्जरी, जीईआरडी के लिए सबसे आम सर्जरी है। इस सर्जरी के दौरान, एक सर्जन निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर पर दबाव डालने और रिफ्लक्स को रोकने के लिए आपके पेट के ऊपरी हिस्से को ग्रासनली के अंत के आसपास सिल देता है। यह सर्जरी लेप्रोस्कोपिक या ओपन तकनीक का उपयोग करके की जा सकती है।
  • बेरिएट्रिक सर्जरी, में यदि आपको जीईआरडी और मोटापा है, तो वजन घटाने वाली सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी जीईआरडी के लिए वजन घटाने वाली सर्जरी का सबसे आम प्रकार है।
  • एंडोस्कोपी का चयन डॉक्टर कुछ मामलों में करते है।

सुझाव :

आप चाहे तो इन सब तरह की सर्जरी को लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

पेट में किसी भी तरह की समस्या अगर आपको नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द डॉक्टर के सम्पर्क में आना चाहिए और किसी भी तरह के इलाज को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। 

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पेट में सुई जैसी चुभन किन बीमारियों का है संकेत !

पेट में सुई की तरह दर्द को अक्सर लोगों के द्वारा नजरअंदाज किया जाता है। लेकिन, असल में ये शरीर से जुड़ी कई समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। दरअसल, पेट में सुई की तरह दर्द इस बात का भी संकेत है कि पेट की आंतरिक परत में सबकुछ ठीक नहीं है। इसके अलावा ये किडनी और लिवर जैसे अंगों के सही नहीं होने का भी संकेत हो सकता है। तो, आइए जानते है पेट में सुई की तरह दर्द क्यों होता है ;

पेट में सुई जैसी चुभन के क्या कारण है ?

  • पेट में सुई जैसी चुभन भोजन न पचने की वजह से होता है। इसके अलावा पाचन शक्ति कमजोर होने पर पेट में चुभन और दर्द की परेशानी हो सकती है। दरअसल, जब पाचन कमजोर होता है, तो खाने को पचाने में काफी ज्यादा परेशानी खड़ी करता है। ऐसे में व्यक्ति को एसिडिटी, कब्ज, पेट में दर्द, जलन इत्यादि की समस्या होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
  • वायरल संक्रमण की वजह से भी पेट में चुभन की परेशानी हो सकती है। पेट में वायरल इंफेक्शन के कारण चुभन के साथ-साथ जी मिचलाना, पेट में दर्द, डायरिया, सिरदर्द इत्यादि परेशानी होती है। इस तरह के लक्षणों के साथ-साथ मरीजों को शारीरिक रूप से थकान, कमजोरी इत्यादि भी महसूस हो सकती है। 
  • मांसपेशियों में खिंचाव भी पेट में चुभन का कारण है। वहीं इसके कारण पेट में दर्द की परेशानी भी देखी गई है। इस स्थिति में मरीज को पेट की मालिश करने से काफी आराम महसूस होता है। पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आने पर मरीज को हिलने-डुलने में भी परेशानी हो सकती है।
  • अपेंडिक्स (आंतों में इन्फेक्शन, कब्ज, पेट में पलने वाले खराब बैक्टीरिया) की समस्या पेट के दाएं निचले हिस्से में होती है। ऐसे में अगर आपके पेट के दाहिने हिस्से में चुभन की परेशानी हो रही है, तो यह अपेंडिक्स की ओर इशारा कर सकता है। इस स्थिति को इग्नोर करने के बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि गंभीर स्थितियों से बचा जा सके।
  • पेट में चुभन की शिकायत गॉल ब्लैडर में पथरी की वजह से भी हो सकती है। इस स्थिति में मरीज को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द और चुभन की परेशानी महसूस होती है। कभी-कभी यह दर्द काफी तेजी से बढ़ता है। इस परेशानी से ग्रसित मरीजो को पेट में चुभन के साथ-साथ उल्टी, पीलिया और काफी ज्यादा कमजोरी का अनुभव भी होता है। 

किन कारणों से पेट में सुई जैसी चुभन हो रहीं है इसके बारे में जानने के लिए लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करें।

क्या है पेट में दर्द की समस्या ?

  • पेट में दर्द कई चीजों के कारण हो सकता है, जिनमें अपच, पेट के वायरस, ख़राब खाना, गैस, खाद्य एलर्जी, कब्ज, एंडोमेट्रियोसिस, क्रोहन रोग, सीलिएक रोग, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम और कुछ दवाएं शामिल है।
  • अगर आपके पेट में भी दर्द की समस्या बनी हुई है तो इससे निजात पाने के लिए आप लुधियाना में कोलोनोस्कोपी से भी अपनी जाँच करवा सकते है।

पेट की जाँच व इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल या सेंटर !

अगर आप भी पेट में अत्यधिक दर्द और पीड़ा का आभास कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। क्युकि कई दफा ऐसा हो जाता है की हमें पेट में दर्द के कारण सर्जरी का सहारा भी लेना पड़ सकता है। 

सारांश :

पेट की समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी काफी खतरनाक मानी जाती है, इसलिए जरूरी है की आप अगर इस तरह की समस्या से निजात पाना चाहते है तो इसके लिए समय-समय पर अपने पेट की जाँच को करवाते रहें ताकि आपकी बीमारी ज्यादा न बढ़ सकें। 

वहीं पेट की समस्या आपको गंभीर रोगी बना सकती है इसलिए जरूरी है की पेट की समस्या को कृपया नज़रअंदाज़ न करें।